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देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति अष्टमोऽध्यायः
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:
धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्लींकारी काल-रूपिण्यै, बीजरूपे नमोऽस्तु ते।।
चाय वाले को बनाया पिता और टेस्ट ड्राइव के बहाने उड़ाई बाइक, आगरा में शातिर चोर का गजब कारनामा
No. Pratyahara suggests to bring the senses within. That may be, closing off external perception. Stambhana fixes the perception within by Keeping the assumed nonetheless in addition to the feeling.
श्री दुर्गा अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
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धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी ।
It is amazingly secretive – we should go deeply inside of and fully grasp the this means of such mantras.
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
इति श्रीरुद्रयामले गौरीतन्त्रे शिवपार्वतीसंवादे सिद्ध कुंजिका स्तोत्र